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lunar eclipse defect worship

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जन्मकुंडली में किसी एक भाव में राहू एवं चन्द्र की युति हो तो ग्रहण चन्द्र योग बनता है। चन्द्र ग्रहण की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है। चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है। माँ के सुख में कमी आती है। किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देना व नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं। किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे तनाव, Sijrfenia आदि इसी दोष के प्रभाव के कारण माने गए हैं यदि यहाँ चंद्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें कि अन्य पाप प्रभाव में भी होता है, तो मिर्गी, चक्कर व पूर्णत: मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है।

जन्मकुंडली में किसी एक भाव में राहू एवं चन्द्र की युति हो तो ग्रहण चन्द्र योग बनता है। चन्द्र ग्रहण की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है। चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है। माँ के सुख में कमी आती है। किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देना व नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं। किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे तनाव, Sijrfenia आदि इसी दोष के प्रभाव के कारण माने गए हैं यदि यहाँ चंद्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें कि अन्य पाप प्रभाव में भी होता है, तो मिर्गी, चक्कर व पूर्णत: मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है।

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