किसी भी जातक की कुंडली में अगर लग्न से और चन्द्र से पहले, चौथे, सातवें, आठवे, व बारहवें ( 1,4,7,8,12 ) स्थान में मंगल स्तिथ हो तो जातक को मांगलिक माना जाता है। दक्षिण भारत में मांगलिक दोष का निर्धारण दूसरे भाव से भी किया जाता है। गुजरात में मांगलिक दोष का निर्धारण शक्र से भी किया जाता है। इसके प्रभाव के फलस्वरूप जातक के विवाह में विलम्ब होता है, साथ ही विवाह के बाद भी पति पत्नी के बीच परेशानी, दाम्पत्य जीवन में तनाव होने की सम्भावना होती है। साथ ही मकान, भूमि, शारीरिक कष्ट, दुर्घटना, अदालत सम्बन्धी परेशानी अशुभ प्रभाव वाले मंगल या मंगल दोष या मंगल का कुंडली में अच्छी स्तिथि न होने से ही होती है अगर जातक इनसे सम्बंधित व्यापार या नौकरी करता है तो उसमे भी सफलता नहीं मिलती।
Proin gravida nibh vel velit auctor aliquet. Aenean sollicitudin, lorem quis bibendum
auctor, nisi elit consequat hello Aenean world.